Thursday, February 13, 2014

तेरा अंदाज़

मेरी ज़िंदगी के हर ख़ूबसूरत सुबह का राज मुझे पसंद है,
तेरी इन आँखों के झिलमिलाने का अंदाज मुझे पसंद है।

जब से सुना है तेरी खनकती हुयी आवाज़ को मैंने,
न जाने क्यूँ संगीत का हर साज़ मुझे पसंद है।

तेरी हँसी के पीछे खिचा  हुआ न जाने कहाँ निकल आया,
याद नहीं किस शाम को चला था अब तो सुबह निकल आया,

यकीन करो मेरी बढ़ी हुयी धड़कनो पे तुम ज़रा,
तुम्हारी बेपरवाह हँसी से निकलती हुयी आवाज़ मुझे पसंद है।

मुद्दतें लग जातीं हैं वक़्त कि तन्हाई से निकलने में,
मगर मेरे यू ही खुश होने का आग़ाज़ मुझे पसंद है।

यकीनन परी बन के आयी हो मेरी जिंदगी में तुम,
मगर इसे राज़ ही रखने का तुम्हारा अलग अंदाज़ मुझे पसंद है।


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