Friday, January 20, 2012

चाँद

बोल सुने जो तेरे मैंने तो आया मुझे याद,
रात थी मेरी सूनी सूनी सुबह में निकला चाँद.

शबनम के दो बूँद गिड़ पड़े तपती रातों पर,
तू हंस दी जो मेरी बेमतलब की बातों पर.

तुझको युही हँसता देखूं , करता हूँ फ़रियाद,
रात थी मेरी सूनी सूनी सुबह में निकला चाँद.

हुस्न तेरा इक शोला जैसा,हंसी हवा का झोंका,
तेरी केवल एक झलक ने दिल का धड़कना रोका.

तेरे नयनो की बोली भी भरती है उन्माद,
रात थी मेरी सूनी सूनी सुबह में निकला चाँद.

1 comment:

  1. Nice Poem i like it... for more love poems and stories visit: http://love-is-poisoning-u.blogspot.com/

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