Monday, May 2, 2011

इश्क

माशूक के लब पे, माशूका का नाम रहने दो.
जेहन में याद उसकी और हाथ में जाम रहने दो.

हवाओ में खालिस है आज, इसे तुम यूहीं  बहने दो.
फिजा मुस्कुरा रही हम पे,जरा इन्हें खुलके हसने दो.

न आये जब तक जालिम वो, हसीं ये शाम रहने दो.
देखना उसकी राहें बस,  हमारा काम रहने दो.

आएगी कभी न वो, जानते हम भी हैं लेकिन,
हमारे इश्क का कमबख्त यही अंजाम रहने दो.

2 comments:

  1. wah bhai wah ye kaun sa ishq ka dard nikal raha hai ya phir se koi naya platform dikh gaya hai ;)

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  2. OM: Bas dost... reality aur imagination ka combo pack.. :)

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