मेरी ये पहली कविता कुछ याद दिलाती है,
बारिश में भींगी भींगी जैसे तू आती है.
मोहक सा चेहरा तेरा कुछ कह कर जाता है,
सूखे बंजर में भी यह बदरी सा छाता है.
तेरे पायल की रुनझुन, संगीत सुनाती है,
झलक तेरी इक देखू तो मदहोशी छाती है.
तेरे नयनो की भाषा को पढना चाहूं मैं,
पास जो आये मेरे तो कुछ कहना चाहूं मैं.
सपना था प्यारा सा ये अब जान गया हूँ मैं,
अपनी इस वीरानी को पहचान गया हूँ मैं.
बारिश में भींगी भींगी जैसे तू आती है.
मोहक सा चेहरा तेरा कुछ कह कर जाता है,
सूखे बंजर में भी यह बदरी सा छाता है.
तेरे पायल की रुनझुन, संगीत सुनाती है,
झलक तेरी इक देखू तो मदहोशी छाती है.
तेरे नयनो की भाषा को पढना चाहूं मैं,
पास जो आये मेरे तो कुछ कहना चाहूं मैं.
सपना था प्यारा सा ये अब जान गया हूँ मैं,
अपनी इस वीरानी को पहचान गया हूँ मैं.
Nice one sir ji... nice to see that you have also started blogging. Looking fwd for more :)
ReplyDeleteBeautiful dear.. though you know my Hindi is a bit weak... but still I could get the feel of the nature of the poem.... keep writing... :)
ReplyDeleteThanks Amitav and Deepti...will keep posting some reality and some illusion of my life.
ReplyDeletewell said...!!!
ReplyDelete