Wednesday, January 25, 2017

मुझे पता है के मैंने बहुत दिनों से कुछ लिखा नहीं
क्या करूं तुम्हारे सिवा मुझे कुछ और दिखा नहीं!

आज न जाने क्यों फिर से ज़माने को बताना है
तुम्हारे लिए अपने एहसास को फिर से जाताना है!

तुम्हारे चमकते चेहरे में जीवन का हर आयाम दिखता है
मेरा हर जज्बात हर वक़्त बस उसपे हीं लिखता हैं!

तुम्हारी आँखे बोलती हैं और मैं बस सुनता हूँ
टकटकी लगा के बस रोज नए सपने बनता हूँ!

तुम्हारे संग होने की शुरुआत आज ही तो हुयी थी
मेरी तक़दीर बनने  की शुरुआत आज ही तो हुयी थी!

तुम्हारे आने से फर्क मेरी ज़िन्दगी में कुछ यूं आया है
इर्द गिर्द मेरी, बस तुम्हारी तिश्नगी का साया है!

बस यूं ही करम बनाये रखना अपनी मुहब्बत का मुझपे
मेरे एहसास का हर एक कतरा  बस मरता है तुझपे!

सोफी का जीत
२६ जनवरी २०१७

1 comment:

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