Thursday, May 5, 2011

कसक

मुझे मालूम था के, तू बहुत दूर है मुझसे,
न जाने फिर भी कैसे ये, खता जो हो गयी मुझसे,

फिसल के दिल की बाँहों से, छलक  पड़ा मेरे मुह से ही,
इश्क हो गया मुझको, कमबख्त वो भी तुझसे ही,


हकीकत मैं समझता हूँ, फसाना बन न पायेगा,
कसक रह जायेगी दिल में और मेरा दिल यूं ही गायेगा.

Monday, May 2, 2011

इश्क

माशूक के लब पे, माशूका का नाम रहने दो.
जेहन में याद उसकी और हाथ में जाम रहने दो.

हवाओ में खालिस है आज, इसे तुम यूहीं  बहने दो.
फिजा मुस्कुरा रही हम पे,जरा इन्हें खुलके हसने दो.

न आये जब तक जालिम वो, हसीं ये शाम रहने दो.
देखना उसकी राहें बस,  हमारा काम रहने दो.

आएगी कभी न वो, जानते हम भी हैं लेकिन,
हमारे इश्क का कमबख्त यही अंजाम रहने दो.