मुझे मालूम था के, तू बहुत दूर है मुझसे,
न जाने फिर भी कैसे ये, खता जो हो गयी मुझसे,
फिसल के दिल की बाँहों से, छलक पड़ा मेरे मुह से ही,
इश्क हो गया मुझको, कमबख्त वो भी तुझसे ही,
हकीकत मैं समझता हूँ, फसाना बन न पायेगा,
कसक रह जायेगी दिल में और मेरा दिल यूं ही गायेगा.